रेडियोथेरेपी व सर्जरी सुविधा नहीं है उपलब्ध, सिर्फ नाम के लिए कैंसर विभाग

दून अस्पताल में कैंसर के इलाज के लिए विभाग तो बना दिया, लेकिन यहां रेडियोथेरेपी और सर्जरी की सुविधा नहीं है। अस्पताल में न तो रेडियोथेरेपी मशीन है और न ही कैंसर सर्जन की तैनाती है। अस्पताल से हर महीने 20 से 25 मरीजों को रेडियोथेरेपी के लिए हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है। सर्जरी के लिए भी 10 से 15 मरीजों को रेफर किए जाते हैं। ऐसे में मरीज निजी अस्पताल पर निर्भर रहते हैं।
दून अस्पताल के कैंसर रोग विभाग में सिर्फ कीमोथेरेपी की सुविधा है। यहां पर रेडियोथेरेपी और सर्जरी के लिए मरीज को निजी अस्पताल भेजना पड़ता है। निजी अस्पताल रेडियोथेरेपी का खर्च एक लाख रुपये से अधिक और सर्जरी का खर्च करीब ढाई लाख रुपये तक आता है। दून अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के एचओडी, ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. दौलत सिंह ने बताया कि कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से होता है।
कैंसर का पता लगने के बाद उसे कीमोथेरेपी देकर के छोटा किया जाता है। इसके बाद सर्जरी करके ऑपरेट किया जाता है। रेडियोथेरेपी से उसकी जड़ों को खत्म किया जाता है। इससे कैंसर की संभावना दोबारा नहीं रहती। शरीर के कुछ भाग ऐसे होते हैं जहां पूरा कैंसर ऑपरेट नहीं किया जा सकता है। ऐसे में कैंसर वाला हिस्सा निकालकर रेडियोथेरेपी दे दी जाती है। ब्रेस्ट कैंसर में भी रेडियोथेरेपी जरूरी होती है। ब्रेस्ट कंजरवेशन ट्रीटमेंट के लिए रेडियोथेरेपी बहुत जरूरी होती है।
एम्स में रेडियोथेरेपी की छह महीने की वेटिंगI
रेडियोथेरेपी का एक पैकेज डेढ़ महीने के लिए एक लाख का होता है। दून अस्पताल वाले मरीज को रेडियोथैरेपी के लिए जौलीग्रांट, अन्य निजी अस्पताल या ऋषिकेश एम्स भेजा जाता है। एम्स में रेडियोथेरेपी के लिए छह महीने की वेटिंग चल रही है। कैंसर का मरीज छह महीने तक सही सलामत बना रहेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं रहती। आजकल मशीन भी नहीं चल रही है।