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अल्मोड़ा

स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के खोखले दावों की पोल खोल रहा है,कनारीछीना आयुर्वेदिक अस्पताल

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धौलछीना विकासखंड का कनारीछीना आयुर्वेदिक अस्पताल स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के खोखले दावों की पोल खोल रहा है। वर्षों से यह अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहा है जो जर्जर है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों के लिए खतरा है। छत से पानी टपकने से दवा भी खराब हो रही है।
करीब 15 साल पूर्व कनारीछीना आयुर्वेदिक अस्पताल का संचालन शुरू हुआ। तब से यह किराए के भवन में संचालित हो रहा है। एक छोटे से कमरे में इसका संचालन किया जा रहा है जो जर्जर हो चुका है। जर्जर छत के गिरने का खतरा है। जगह-जगह छत से पानी टपककर कक्ष में घुस रहा है जिससे यहां रखी दवा बर्बाद हो रही है। दवा में सीलन आ रही है और यही मरीजों को बांटी जा रही है जिससे खतरा और बढ़ गया है। अब तक इस पर किसी की नजर नहीं पड़ी। 

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टूटी खिड़कियों और दरवाजों से घुस रहा है बारिश का पानी
धौलछीना। आयुर्वेदिक अस्पताल की टूटी खिड़कियां और दरवाजे सरकारी मशीनरी की लापरवाही को बयां कर रहे हैं। इन खिड़कियों और दरवाजों से बारिश का पानी भीतर घुस रहा है। टपकती छत मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों की मुश्किल बढ़ा रही है। तेज बारिश में चिकित्सक को कक्ष के भीतर छाता के सहारे मरीजों का इलाज करना पड़ता है।
कई बार विभाग से आयुष विंग को दूसरे भवन या सीएचसी में स्थानांतरित करने की गुहार लगाई गई है। इस पर निर्णय लेना विभाग का काम है।
डॉ. हरीश चंद्र सिंह, प्रभारी चिकित्साधिकारी, आयुर्वेदिक अस्पताल, कनारीछीना।

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