Chandrayaan 3 Landing: चंद्रयान 3 की लैंडिंग से पहले देखें ISRO में कैसा है नजारा?

News Desk
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Chandrayaan 3 Moon Landing: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने बुधवार (23 अगस्त) को कहा कि वह अपने तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को आज शाम चंद्रमा की सतह पर उतारने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इस ऐतिहासिक क्षण को लेकर इसरो ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. वैज्ञानिक लैंडिंग से पहले अपने काम में जुटे हैं. 
 
जैसे ही लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लैस लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. वैसे ही भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर लेगा, जो अब तक किसी भी देश को नहीं मिली है.

इसरो ने पूरी की तैयारियां

इस बीच इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लिखा, “ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (ALS) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार. लैंडर मॉड्यूल के लगभग 5 बजकर 44 मिनट पर पहुंचने का इंतजार है.”

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, “ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस कमांड मिलने के बाद लैंडर मॉड्यूल तेज गति से उतरने के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को एक्टिव करेगा. मिशन संचालन टीम आदेशों के सीक्वल एग्जीक्यूशन की पुष्टि करती रहेगी.”

जरूरी कमांड अपलोड करेगा इसरो

सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का फैसला लेने के बाद इसरो लैंडिंग के निर्धारित समय से कुछ घंटे पहले, बयालू में अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) प्रतिष्ठान से लैंडर मॉड्यूल पर जरूरी कमांड अपलोड करेगा.

थ्रस्टर इंजन को इस्तेमाल करेगा लैंडर

इसरो के अधिकारियों के मुताबिक लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ‘पॉवर ब्रेकिंग फेज’ में कदम रखेगा और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की रेट्रो फायरिंग करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है. उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के ग्रैविटी के प्रभाव के कारण लैंडर ‘क्रैश’ न कर जाए.

दो इंजन किए जाएंगें बंद

अधिकारियों के अनुसार 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल होगा और बाकी दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना है.

सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल

अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच करेगा कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर देगा.

साइड पैनल की मदद से चांद पर उतरेगा चंद्रयान

अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जो रैंप के रूप में कार्य करेगा. उन्होंने बताया कि लैंडिंग के बाद लैंडर को उसमें मौजूद इंजनों के चंद्रमा की सतह के करीब एक्टिव होने के कारण धूल की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

चंद्रमा की सतह का करेगा अध्ययन 

इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा. हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है.

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