जिले में लावारिस कुत्ते और बंदरों का उत्पात लगातार बढ़ रहा है। फरवरी में जिला अस्पताल में 184 लोग घायल होकर अस्पताल की दौड़ लगाने के लिए मजबूर हुए। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक रोजाना 15 से अधिक लोग वैक्सीन लगाने के लिए और हमले में घायल करीब सात से आठ लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
नगर के माल रोड, धारानौला, सरकार की आली, एनटीडी, धार की तुनी, पांडेखोला समेत अन्य हिस्सों में इन जानवरों का खौफ बना हुआ है। दोनों ही जानवर आए दिन स्कूल जा रहे बच्चों के साथ ही राह चलते लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर रहे हैं। जिला अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में कुत्ते के हमले में घायल 163, बिल्ली के पांच और बंदर के हमले में घायल 16 लोग अस्पताल पहुंचे।
बधियाकरण की योजना नहीं चढ़ पा रही परवान
अल्मोड़ा। नगर से लेकर बंदरों और लावारिस कुत्तों के उत्पात से परेशान लोग इससे मुक्ति की मांग कर रहे हैं। बंदर लोगों पर हमला करने के साथ ही खेतों में घुसकर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। नगर के भीतर ही बंदरों और लावारिस कुत्तों की संख्या हजारों में है और हर रोज इनकी आबादी बढ़ रही है, इस पर लगाम लगाने में सरकारी तंत्र पूरी तरह फेल साबित हुआ है। इनके बधियाकरण के साथ इनकी आबादी रोकने की पहल अब तक शुरू नहीं हो सकी है।
कोट-कुत्ते और बंदरों के हमले से घायल हर रोज औसतन सात से आठ लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। एंटी रैबीज वैक्सीन पर्याप्त है। बीते वर्षों की अपेक्षा वर्तमान में इन जानवरों के हमले बढ़े हैं