रात के अंधेरे में रास्ता नहीं मिल रहा था। किसी तरह साथी मिले तो पेट्रोल बम आते ही सभी जान बचाने को इधर उधर भागने लगे। धक्का लगने से मैं गिर गई और अंधेरे में लोग मेरे ऊपर से चढ़कर भागते रहे। तक लगा था अब कभी परिवार से नहीं मिल पाऊंगी, लेकिन भगवान ने बचा लिया। यह कहना है कोतवाली में तैनात महिला एसआई मंजू ज्याला का।
मंजू ज्याला की दो साल की बेटी है। बीते बृहस्पतिवार को हर रोज की तरह ड्यूटी पर आयी थी। शाम 4 बजे वह अन्य साथियों के साथ बनभूलपुरा गई थी। मगर वहां के मंजर ने उनको हिलाकर रख दिया। बताया कि शुरु से ही पत्थर फेंके जा रहे थे। एक दीवार के पीछे से लोग पत्थर फेंक रहे थे। जिनको भगाने के लिए एसपी सिटी के साथ हम लोग वहां पहुंचे। मगर इस बीच वहां भीड़ बढ़ गई और पीछे मौजूद फोर्स वहां से हटने लगी। जब तक हम वहां से निकलते फोर्स पीछे जा चुकी थी और हम फंस गए थे।