मानसिक रोगों से जुझती स्कूली छात्राये, बागेश्वर में तैनात नही है , मानसिक चिकित्सक

बागेश्वर के विघालयो में अध्ययनरत स्कूली बच्चीया लगातार मानसिक बिमारीयों से जूझ रही है,स्कूलो मे बच्चीया चीख रही है, चिल्ला रही है, जिले में मानसिक बिमारीयों का डाक्टर नही होने से ग्रामीण अभिभावक, और शिक्षक हतास और परेशान है , प्रशाशन भी बच्चीयों को अच्छे मनोचिकित्सक से दिखाने का स्टेटमेट जारी कर बच्चीयों को अभिभावकों को सौप दिया जा रहा है,
जिले में लगातार स्कूलों की बच्चीया मास हिस्टीरिया नामक बिमारी से पीड़ित होती रहती है, कोई जबाबदारी लेने को तैयार नही है, पीड़ित छात्राओं को ठीक करने के लिए अभिभावक तरह, तरह के तांत्रिकों और झाड़ फूक का सहारा लेने को मजबूर है, पीड़ित बच्चीयों के ईलाज के नाम पर अभिभावको से लूट खसोट का धंधा भी साथ, साथ चल रहा है, जानकारों के अनुसार औरतों और लड़कीयो को भूत आना मास हिस्टीरिया का केस है, जब मास हिस्टीरिया का झटका पड़ता है,
तब आंखों कि नाड़ियाँ जो पीछे कि तरफ देखती है, वो ज्यादा उत्तेजित हो जाती है, जिस कारण तरह, तरह कि चीजे उन्हे घरों में स्कूलों में दिखाई देती है, हैलोनेशन कि इस बिमारी से निजात दिखाने के लिए पहले उस जगह से उन्हें अलग रखा जाता है, बैलडोना नामक एक दवा है, बैलडोना नामक दवा कि 30 डिग्री कि तीन डोज से दो ,तीन दिनों में उसकी नसे ठीक हो जाती है, भूत, प्रेत का मिथक हमारी मन कि बिमारियाँ है, भूत ज्यादा लेडिजो में ही आते है,
जन्म प्रति में शुक्र का विकास जिस महिलाओं में नही हुआ हो, वो लड़कीयाँ और महिलाये इस मानसिक रोग से ग्रसित अधिक होती है, बागेश्वर में बढ़ती मानसिक रोगों के समाधान के लिए बागेश्वर में मानसिक डाक्टरों का होना आवश्यक है , क्या शाशन या प्रशासन इस तरफ कुछ ठोस पहल कर पायेगा, यह समय ही बतायेगा,