खरशालीगांव स्थित पौराणिक शनि मंदिर खतरे में

मां यमुना के मायके व शीतकालीन प्रवास खरशालीगांव स्थित पौराणिक शनि मंदिर खतरे में है। 14वीं शताब्दी में लकड़ी पत्थर से बने साढ़े चार मंजिला शनि मंदिर की दीवार चटकने के साथ चिनाई में प्रयुक्त लकड़ी सड़ने लग गई है। जिसके चलते मंदिर के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
पिछले साल मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरशालीगांव स्थित पौराणिक शनि मंदिर की बुनियाद को काफी नुकसान हुआ था। जिसे थोड़ा बहुत ठीक किया गया। लेकिन खतरा अब भी बरकरार है। गुजाखुंटी की पारंपरिक तकनीक से कट पत्थर और थुनेर की लकड़ियों के सड़ने से मंदिर के दीवारों के पत्थर खिसकने लगे हैं
पारंपरिक भूकंप रोधी तकनीक से निर्मित यह मंदिर अब तक कई बड़े भूकंप के झटके झेल चुका है। लेकिन भूकंप से तो नहीं पर अब सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के चलते क्षतिग्रस्त होने की कगार पर है। इस पौराणिक धरोहर के जीर्णोद्धार का जिम्मा शनि देव के अनुयाई उपासक मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ व उनकी पत्नी विनैला जैन ने लेने की बात कही है।
वह यहां पिछले एक दशक से साल में दो बार बैसाखी और शनि जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं। गत वर्ष वह यहां शनि जयंती के मौके पर अवतरित हुए शनि देव के पश्वा ने दो बार विनैला जैन परिवार को मंदिर के जीर्णोद्धार की अनुमति भी दे दी है। जिसका एक पत्थर भी एक आधारशिला के रूप में रखा गया है।गुजाखुंटी पौराणिक भवन निर्माण शैली है। जिसमें भवन के लकड़ी व पत्थर से बनने वाले बिम व कॉलम को गुजाखुंटी कहा जाता है। जिसमें बिम व कॉलम लकड़ी व पत्थर से जोड़े जाते हैं।