‘‘पर्वतीय कृषि पर लघु पाठ्यक्रम‘‘ विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई

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भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा 11-15 मार्च, 2024 के दौरान ‘‘पर्वतीय कृषि पर लघु पाठ्यक्रम‘‘ विषय पर एक पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन 11 मार्च 2024 को किया गया था प्रशिक्षण कार्यक्रम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुल उन्तीस छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड, बिहार, ओडिशा, नई दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ के प्रतिभागी थे।

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संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा पर्वतीय कृषि से सम्बंधित विविध क्षेत्रों पर व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र रखे गए जिनमें एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा में पर्वतीय फसलों का महत्व, पर्वतीय फसलों की प्रजातियों का विकास, फार्म मशीनीकरण, कृषि में सूक्ष्मजीवों का योगदान, मशरूम की खेती, संरक्षित खेती, मधुमक्खी पालन, जल प्रबंधन, आदि विषय सम्मिलित थे।

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इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों का संस्थान द्वारा भगरतोला ग्राम सभा, जिला अल्मोड़ा का भ्रमण कराया गया जिसमें विद्यार्थियों को कृषक प्रक्षेत्रों में प्रदर्शित संस्थान की तकनीकियों को दिखाया गया। ग्रामीण व्यापार इन्क्यूबेटर, हवालबाग में भी एक प्रशिक्षण दौरा आयोजित किया गया, ताकि प्रशिक्षु ग्रामीण सेक्टर में उद्यम स्थापना के बारे में जान सकें। प्रशिक्षुओं ने वैज्ञानिक तकनीकों के व्यावहारिक अनुभव के साथ पर्वतीय कृषि में प्रमुख बाधाओं और अवसरों के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में अपनी संतुष्टि व्यक्त की।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षु विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को महत्त्वपूर्ण बताते हुए संचालन समिति तथा संस्थान का धन्यवाद दिया और कहा कि प्रशिक्षण से उनके पर्वतीय कृषि से सम्बंधित सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि हुई है। 15 मार्च 2024 को समापन समारोह के दौरान, डॉ. लक्ष्मी कांत ने छात्रों को संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. बोशी सेन के संघर्ष के साथ,विवेकानन्द प्रयोगशाला से आईसीएआर-वीपीकेएएस तक संस्थान की यात्रा के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन संस्थान के निदेशक द्वारा छात्रों को प्रमाणपत्रों के वितरण के साथ किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वयन संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आर एस पाल, प्रियंका खाती और एम एस भिंडा द्वारा किया गया।

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