उत्तराखंड: इंटरनेशनल ड्रग्स माफिया के घर से ईडी ने बरामद किए 268 बिटकॉइन, डार्क वेब से करता था ड्रग्स का धंधा

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26 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने हल्द्वानी में बनमीत नरुला के घर पर छापा मारा था। यहां करीब 12 घंटे तक उसके परिवार वालों और भाई परविंदर नरुला से पूछताछ की गई। इसके बाद ईडी ने परविंदर नरुला को गिरफ्तार कर लिया था।ईडी ने इंटरनेशनल ड्रग्स माफिया बनमीत नरुला के हल्द्वानी स्थित घर से 268 बिटकॉइन बरामद किए हैं। इनकी भारतीय रुपयों में कीमत करीब 130 करोड़ रुपये बताई जा रही है। ईडी के अनुसार इनका इस्तेमाल बनमीत और उसका भाई डार्क वेब के माध्यम से ड्रग्स खरीदने में करता था।

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बनमीत के भाई परविंदर नरुला को ईडी ने गत 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। उसे सात दिन के लिए ईडी की कस्टडी में दिया गया। अब शनिवार को स्पेशल ईडी कोर्ट ने परविंदर को चार दिन के लिए और ईडी की कस्टडी में भेज दिया है। गौरतलब है कि गत 26 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने हल्द्वानी में बनमीत नरुला के घर पर छापा मारा था। यहां करीब 12 घंटे तक उसके परिवार वालों और भाई परविंदर नरुला से पूछताछ की गई। इसके बाद ईडी ने परविंदर नरुला को गिरफ्तार कर लिया था। परविंदर पर आरोप है कि उसने अपने भाई की अवैध कमाई को भारत में निवेश किया है।

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इसके साथ ही उसने भी दुबई समेत कई देशों में अपने खाते खुलवाए, जिनके माध्यम से वह अपने भाई के अवैध कारोबार में साथ देता था। ईडी ने उसे 27 अप्रैल को स्पेशल ईडी कोर्ट देहरादून में पेश किया था। ईडी ने पूछताछ व सर्च के लिए परविंदर की 14 दिन की कस्टडी रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उस वक्त केवल सात दिन की कस्टडी रिमांड ही मंजूर की थी।

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रिमांड के दौरान ईडी ने उसके घर पर कई बार सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें उसके कंप्यूटर वॉलेट से 268 बिटकॉइन (आभासी मुद्रा) बरामद की।उसके पासवर्ड को हासिल कर यह मुद्रा प्राप्त की गई है। इसकी भारतीय रुपयों में अनुमानित कीमत करीब 130 करोड़ रुपये है। ईडी के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इन बिटकॉइन के माध्यम से ही नरुला बंधु ड्रग्स का अवैध कारोबार करते थे। परविंदर को शनिवार को स्पेशल ईडी कोर्ट में पेश किया गया। ईडी ने परविंदर की सात दिन की और कस्टडी रिमांड मांगी थी। ईडी के तर्कों के आधार पर कोर्ट ने उसकी चार दिन की कस्टडी रिमांड मंजूर कर दी है।

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पिछले दिनों उत्तराखंड में अब तक की सबसे बड़ी एलएसडी की खेप देहरादून पुलिस ने पकड़ी थी। इसमें भी खुलासा हुआ था कि तस्कर एलएसडी को डार्क वेब के माध्यम से मंगाते थे। डार्क वेब इंटरनेट का वह पहलू होता है, जो सामान्य तौर पर किसी की पकड़ में नहीं आता। बिटकॉइन और इसके जैसी कई आभासी मुद्राओं में ही डार्क वेब पर कारोबार किया जाता है। इनके प्रचलन में किसी बैंक खाते या इसके नेटवर्क का प्रयोग नहीं किया जाता है। बल्कि, यह अपने ही सर्वर पर काम करते हैं। ऐसे में पुलिस या अन्य जांच एजेंसियां सीधे तौर पर डार्क वेब पर कौन-कौन और किस वक्त सक्रिय है, इसका पता नहीं लगा सकती हैं।

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