हल्द्वानी हिंसा: धक्का लगने से मैं नीचे गिरी…ऊपर से चढ़कर भागे लोग, महिला एसआई ने सुनाई आपबीती

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रात के अंधेरे में रास्ता नहीं मिल रहा था। किसी तरह साथी मिले तो पेट्रोल बम आते ही सभी जान बचाने को इधर उधर भागने लगे। धक्का लगने से मैं गिर गई और अंधेरे में लोग मेरे ऊपर से चढ़कर भागते रहे। तक लगा था अब कभी परिवार से नहीं मिल पाऊंगी, लेकिन भगवान ने बचा लिया। यह कहना है कोतवाली में तैनात महिला एसआई मंजू ज्याला का।

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मंजू ज्याला की दो साल की बेटी है। बीते बृहस्पतिवार को हर रोज की तरह ड्यूटी पर आयी थी। शाम 4 बजे वह अन्य साथियों के साथ बनभूलपुरा गई थी। मगर वहां के मंजर ने उनको हिलाकर रख दिया। बताया कि शुरु से ही पत्थर फेंके जा रहे थे। एक दीवार के पीछे से लोग पत्थर फेंक रहे थे। जिनको भगाने के लिए एसपी सिटी के साथ हम लोग वहां पहुंचे। मगर इस बीच वहां भीड़ बढ़ गई और पीछे मौजूद फोर्स वहां से हटने लगी। जब तक हम वहां से निकलते फोर्स पीछे जा चुकी थी और हम फंस गए थे।

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तभी महिलाओं, बच्चों के साथ अन्य लोगों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। हम पीछे को भागने लगे तो एक पत्थर हेलमेट में लगा और मैं वहीं गिर पड़ी। किसी तरह उठी तो तब तक अन्य लोग आगे निकल गए थे। रात के समय रास्तों का पता ही नहीं चल पा रहा था, कहां से निकलें यह तक पता नहीं था। तब एक मस्जिद के पास हम 3-4 लोग पहुंचे तो 30-35 पुलिस के जवान दिखे। मगर यहां पेट्रोल बम फेंक दिया, तो सभी इधर उधर भागने लगे। धक्का लगने से वह नीचे गिर गई। जब तक उठती लोग मेरे ऊपर से ही चढ़कर भागने लगे। पूरा शरीर की हड्डियां जैसे टूटने लगी थी। तब लगने लगा था कि अब परिवार और बेटी से नहीं मिल पाऊंगी।

उम्मीद टूटने लगी थी, लेकिन कुछ साथियों को देखकर किसी तरह हिम्मत जुटाई और वहां से बाहर निकल सकी। हाथ की अंगुली में फ्रैक्चर है। कंधा, पीठ, कमर, पेट हर जगह पत्थर से चोट लगी है। बताया कि रात में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पहुंची तो बस बेटी को सीने से लगा लिया। तब तक उनके पति भी पहुंच चुके थे और उन्होंने हिम्मत दी।

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