जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार परियोजना की क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का उद्घाटनभाकृअनुप

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विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में 10 जून, 2024 को जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार परियोजना की क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। कार्यशाला की शुभारम्भ मुख्य अतिथि डा. एम.एस. चैहान, माननीय कुलपति, गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । तदुपरान्त भाकृअनुप गीत का अनुश्रवण किया गया। डा. लक्ष्मी कांत, निदेशक भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा ने मुख्य अतिथि और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्हें संस्थान की उपलब्धियों और इतिहास से अवगत कराया।

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अपने सम्बोधन में डा. चौहान ने स्वामी विवेकानन्द और संस्थान के संस्थापक प्रो. बोशी सेन को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने संस्थान को 190 से अधिक किस्मों, विशेष रूप से मक्का और कदन्न किस्मों, जो समय की मांग हैं, के विकास के लिए बधाई दी । उन्होंने विविधता और तकनीकी विकास के क्षेत्र में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों का यह कर्तव्य है कि सभी विकसित तकनीकें जमीनी स्तर यानि कृषकों तक पहुंचे।

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार परियोजना के परिणाम हेतु प्रयोगशाला और खेत पर अनुसंधान को एक साथ होना आवश्यक है। पर्वतीय कृषि की चुनौतियों पर बल देते हुए, उन्होंने उत्तर-पश्चिम हिमालय के सभी कृषि विज्ञान केन्द्र से कृषकों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए ग्रामीण स्तर पर जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार कार्यक्रम को लागू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम सभी को 2047 तक अपने देश को विकसित भारत के रूप में विकसित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने 3 पी यानि प्रोडक्शन (उत्पादन), पेटेंट और पब्लिकेशन (प्रकाशन) पर जोर दिया।

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डा. परवेन्दर शेरॉन, निदेशक, आईसीएआर-अटारी जोन -1, लुधियाना ने अपनी पर्वतीय कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को बधाई दी तथा जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार कार्यक्रम के लक्ष्य और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की उपलब्धियों को प्रस्तुत करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए मांग के अनुरूप गतिविधियों को सुव्यवस्थित कर कार्ययोजना तैयार करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार कार्यक्रम सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जिसे कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रभावी तरीके से कार्यान्वित किया जा रहा है। डा. जी. प्रतिभा, परियोजना अन्वेषक, टीडीसी-एनआईसीआरए, आईसीएआर-सीआरआईडीए, हैदराबाद ने जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार कार्यक्रम की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया और कहा कि अटारी के माध्यम से क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करके विकसित प्रौद्योगिकियों का कुशलतापूर्वक प्रदर्शन किया जा रहा है।


डा. जेवीएनएस प्रसाद, पीसी, एआईसीआरपी ड्राईलैंड एग्रीकल्चर, हैदराबाद ने अपनी टिप्पणी में कहा कि प्रौद्योगिकियां स्थान विशिष्ट होनी चाहिए और यह वैश्विक स्तर पर होनी चाहिए। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों को पारिस्थितिकी तंत्र की संवेदनशीलता के अनुसार काम करना चाहिए।डा. रंजय कुमार सिंह, सहायक महानिदेशक (विस्तार), भाकृअनुप आभासी माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए और अटारी की महत्वपूर्ण भूमिका, व्यवस्थित डेटा बेस और उसके संकलन, संकेतकों के सूक्ष्म स्तर पर मानचित्र के विकास और जमीनी स्तर से गांव स्तर पर प्रौद्योगिकियों के विकास पर जोर दिया।


गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के निदेशक (विस्तार शिक्षा) डा. जितेंद्र क्वात्रा ने तापमान में वृद्धि के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की, जो विशेष रूप से पर्वतीय इलाकों में फसल की पैदावार को काफी प्रभावित कर रही है। उनकी राय में जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवचार कार्यक्रम को पर्वतीय उत्तराखंड के सभी जिलों में लागू किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा आईसीएआर-अटारी जोन-1, लुधियाना की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 का विमोचन तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, बागेश्वर के नये वाहन का उद्घाटन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. आशीष कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा. राज कुमार, प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, बागेश्वर ने किया ।

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