उत्तराखण्ड में भाजपा दोनों मामलों को लेकर भाजपा नेतृत्व असहज है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विधायक-दायित्वधारी मामले का संज्ञान लेने की बात कही है।

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लोस की पांचों सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद अब भाजपा में कतिपय विधायकों और नेताओं के बीच खटपट के मामले सामने आ रहे हैं। अभी टिहरी में पार्टी विधायक किशोर उपाध्याय और पार्टी में शामिल हुए पूर्व मंत्री व विधायक दिनेश धनै के बीच का विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा कि रानीखेत के विधायक प्रमोद नैनवाल और दायित्वधारी कैलाश पंत में ठन गई है।

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दोनों मामलों को लेकर भाजपा नेतृत्व असहज है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विधायक-दायित्वधारी मामले का संज्ञान लेने की बात कही है। टिहरी में विवाद ने तब तूल पकड़ा, जब पार्टी विधायक किशोर उपाध्याय का टीएचडीसी इंडिया के अधिशासी निदेशक को भेजा गया एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस पत्र में उपाध्याय ने पूर्व मंत्री दिनेश धनै के बारे में लिखा कि उन्होंने एक बैठक में उन पर आरोप लगाया कि टीएचडीसी में उनके और उनके समर्थकों के ठेके चल रहे हैं।

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उन्होंने पत्र में आरोप से गहन पीड़ा होने का जिक्र किया। साथ ही ठेकेदारों के बारे में यह ब्योरा मांगा कि वे किसकी सिफारिश पर कार्य कर रहे हैं। उधर, धनै ने कहा, उन्होंने पार्टी फोरम पर सुझाव रखा था। इस बीच पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश नौटियाल सोशल मीडिया पर वायरल हुए पत्र को अनुशासन से जोड़ा है। इससे विवाद खासा गरमा गया है।

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इस बीच सोशल मीडिया पर लैंसडौन विधायक दिलीप रावत की एक लाइन की पोस्ट राम तेरी गंगा मैली हो गई के भी सियासी निहितार्थ टटोले गए और इसे 2022 में कांग्रेस के टिकट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ी अनुकृति गुसाईं भाजपा में शामिल होने पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखा गया।उनकी इस पोस्ट पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी टिप्पणी करने से नहीं चूके थे। उन्होंने लिखा था कि महंत दलीप रावत की व्यथा ये है सभी असली भाजपाइयों की कथा। कुल मिलाकर भाजपा के भीतर नेताओं में खटपट थमने का नाम नहीं ले रही और इसे लेकर कांग्रेस भी तंज करने से नहीं चूक रही।

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