लोकसभा मतदान होते ही भाजपा में शुरू हुआ घमासान, आरोपों के बाद भाजपा विधायक ने टीएचडीसी को लिखा पत्र, वर्चस्व की लड़ाई!

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टिहरी 24 अप्रैल 2024। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के मतदान संपन्न होते ही भाजपा में घमासान शुरू हो गया है। टिहरी से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने टीएचडीसी को पत्र लिखते हुए कार्य करने वाले ठेकेदारों का ब्योरा स्पष्ट करने को कहा है। आपको बता दे की लोकसभा चुनाव की तैयारियों की बैठक में टिहरी से भाजपा नेता दिनेश धनै ने टीएचडीसी के अधिकारियों की मौजूदगी में भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय पर करीबी लोगों को टिहरी झील से संबंधित कार्यों का ठेका दिलवाने के आरोपो की बात सामने आई थी। जिसके बाद अब किशोर उपाध्याय ने इसे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाते हुए टीएचडीसी को स्थिति स्पष्ट करने के लिए आधिकारिक तौर पर लेटर लिखा है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

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इसे लोकसभा चुनाव की ठीक बाद भाजपा में शुभ संकेत के तौर पर नहीं देखा जा रहा है और इसे घमासान की शुरुआत बताया जा रहा है। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने किशोर उपाध्याय और दिनेश धनै के बीच चल रहे इन आरोपों से किनारा करते हुए कहा है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और मैं दिल्ली से लौटकर इस बारे में जानकारी लेने के बाद कुछ कहूंगा।क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार?वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने इस ताजा मामले को लेकर कहां है कि भाजपा जिन नेताओं पर रोजाना आरोप लगाकर उन्हें भ्रष्टाचारी कहती थी,

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आज वह भाजपा में शामिल होकर अलग-अलग पदों पर बैठे हैं और इससे भाजपा के पुराने कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं। साथ ही उन्होंने कहा दिनेश धनै और किशोर उपाध्याय के बीच शुरू हुआ यह घमासान, अभी प्रदेश में अन्य जगह भी देखने को मिलेगा। यदि एक क्षेत्र में तीन चार बड़े नेता आ जाते हैं तो राजनीति में अपने आप को सर्वोच्च और कायम रखने के लिए वह किसी भी हद तक जाने से संकोच नहीं करते और इसी को अंदरूनी भीतरघात का नाम दिया गया है।वरिष्ठ पत्रकार ओम गौतम फक्कड़ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई ने लोकसभा में वोटिंग के दौरान अपनी सरकार को एक वोट से बचाने के लिए अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया था। हालांकि वह चाहते तो एक वोट को आराम से हासिल कर सकते थे।

लेकिन उन्होंने राजनीतिक सिद्धांतों के अंतर्गत की। आगे उन्होंने कहा कि आज के परिदृश्य में राजनीति बदल गई है। पार्टियां अपनी सरकार बनाने में किसी भी हद तक जाने से संकोच नहीं करती हैं और हिमाचल, झारखंड इसके ताजा उदाहरण है। वरिष्ठ पत्रकार ओम गौतम फक्कड़ ने कहां जब किसी पार्टी के वरिष्ठ नेता अन्य पार्टी में शामिल होते हैं तो कुछ सालों में ही उनके बीच अंदरूनी कहल खुलकर सामने आती है। जैसे दिनेश धनै और किशोर उपाध्याय के बीच शुरू हुई टिहरी की लड़ाई को आगामी नगर निगम और विधानसभा के लिए वर्चस्व की लड़ाई माना जा रहा है।

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